Friday, August 1, 2025
Homeउत्तराखंडजनजागरूकता से ही जल संरक्षण में मिलेगी सफलता

जनजागरूकता से ही जल संरक्षण में मिलेगी सफलता

वाटर सिनेरियो ऑफ उत्तराखंड’ विषय पर हुआ उपयोगी संवाद

देहरादून: उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (यूकॉस्ट) द्वारा “जल शिक्षा कार्यक्रम” के अंतर्गत “वाटर सिनेरियो ऑफ उत्तराखंड (उत्तराखंड में जलस्रोतों का परिदृश्य)” विषय पर विशेषज्ञ व्याख्यान का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूकॉस्ट के महानिदेशक प्रो. दुर्गेश पंत ने कहा कि जल एक महत्वपूर्ण घटक है, जिसे केवल जानकारी तक सीमित नहीं रखा जाना चाहिए, बल्कि इसके संरक्षण हेतु ठोस कार्य योजनाएं बनाकर कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में जल एक अत्यंत संवेदनशील विषय है। यूकॉस्ट द्वारा प्रारंभ किए गए जल शिक्षा कार्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों और आम जनमानस को जल संरक्षण, जलस्रोत प्रबंधन और पुनर्जीवन से जोड़ना है तथा जन सहभागिता के साथ कार्य करना है।

प्रो. पंत ने जानकारी दी कि यूकॉस्ट द्वारा ‘माँ धरा नमन’ कार्यक्रम के अंतर्गत टोंस पुनर्जीवन कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है और जल संरक्षण के लिए वाटर वालंटियर तैयार किए जा रहे हैं। उन्होंने विद्यालयों और संस्थानों से इस अभियान में सक्रिय भागीदारी की अपील की। साथ ही पारंपरिक जल स्रोतों विशेषकर “नौला-धारा” के संरक्षण हेतु व्याख्यान श्रृंखला आयोजित करने पर बल दिया।

मुख्य वक्ता के रूप में मानसखण्ड विज्ञान केंद्र, अल्मोड़ा के एमेरिटस वैज्ञानिक डॉ. जी. एस. नेगी ने उत्तराखंड के जलस्रोतों, नौला-धारा, प्रमुख नदी बेसिनों, ग्लेशियरों और मानव निर्मित झीलों की वर्तमान स्थिति पर जानकारी दी। उन्होंने भूजल पुनर्भरण (Groundwater Recharge) और स्प्रिंग सैंक्चुरी (Spring Sanctuary) के विकास की आवश्यकता पर बल दिया तथा वैज्ञानिक एवं पारंपरिक प्रबंधन को एक साथ लेकर चलने की जरूरत बताई।

कार्यक्रम का संचालन यूकॉस्ट के वैज्ञानिक डॉ. भवतोष शर्मा ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. मनमोहन रावत द्वारा प्रस्तुत किया गया। इस अवसर पर सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड, उत्तराखंड क्षेत्र के डायरेक्टर डॉ. प्रशांत राय ने भूजल रिचार्ज की आवश्यकता को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया।

कार्यक्रम में पिथौरागढ़, चंपावत, चमोली, पौड़ी, अल्मोड़ा, ऊधमसिंह नगर, हरिद्वार और देहरादून जिलों के शिक्षण संस्थानों व यूकॉस्ट के पर्यावरण विज्ञान चेतना केंद्रों से आए 150 से अधिक प्रतिभागियों ने सहभागिता की।

RELATED ARTICLES

Most Popular